वो दावा कर रहा है कि उसने परम सत्य पा लिया, पर वो डरा हुआ हैं कहीं ये सत्य उससे छिन न जाए, वो कहीं किसी और का न हो जाये, वो डींगे हांक रहा है अपने सत्य के प्रचार में बचाव में, अगर यही परम सत्य है तो उसको फिर झांकना चाहिए महलों की टूटी हुई दीवारों के पीछे कहीं वो किसी गुमान में तो नहीं, जिसकी वो ताल ठोक रहा है कहीं वो रेत तो नहीं, जिसकी उसको चिंता है वो फिसल जायेगा| दुनिया में कोई ज्ञात सत्य परम नहीं सिवाय मृत्यु के, जिसको वो बचपन से देख रहा है वो दिन और रात भी तो सत्य नहीं, क्या दिन और रात भी सत्य नहीं, जब उसको ये पता चला तो वो अपने तथाकथित परम सत्य के लिए और घबरा गया, अब उसको इस सत्य के किसी और के द्वारा ले जाने का डर नहीं था पर उसका इस सत्य से विश्वास डगमगा गया था, उसके प्राप्त शून्य में एक लहर उठ गयी थी| उसके अन्दर के ज्ञानी ने उसको कहा सत्य तत्काकालिक होता है वो देश और काल के हिसाब से तय होता है| तो फिर ये किस देश और काल के लिए वो परम सत्य का ढोल पीट रहा था इतना अँधेरा उसकी आँखों के सामने कभी न था|